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India ka most papular teacher

India ka most papular teacher 1. Khan sir 2. alakh pande 3vikash dibykiriti sar  4. Avdh Ojha sar 

बीरबल और मित्र का वचन

  एक दिन बीरबल अपने मित्र के साथ भ्रमण के लिए निकला. दोनों बहुत दिनों बाद मिले थे. इसलिए बातचीत करते हुए न समय का पता चला, न ही दूरी का. चलते-चलते दोनों बहुत दूर निकल आये. उनके मार्ग में एक नदी पड़ी. उन्हें नदी पार कर दूसरे छोर पर जाना था. नदी पार करने का एक ही माध्यम था. उस पर बना हुआ एक पुराना पुल. पुल बहुत संकरा था. एक बार में केवल एक ही व्यक्ति द्वारा उसे पार किया जा सकता था. बरसात के दिन थे, तो पुल पर काई जमी हुई थी. इसलिए उसे संभलकर पार करने की आवश्यकता थी. पहले बीरबल पुल पार करने के लिए बढ़ा और सावधानी से धीरे-धीरे चलते हुए सही-सलामत नदी के दूसरे छोर पर पहुँच गया. अब मित्र की बारी थी. वह भी पूरी सावधानी से पुल पार करने लगा. लेकिन पूरी सावधानी बरतने के बाद भी नदी के दूसरे छोर तक पहुँचने के कुछ दूर पहले उसका संतुलन बिगड़ गया और वह नदी में जा गिरा. मित्र को नदी में गिरते देख बीरबल फुर्ती से अपना हाथ बढ़ाया और बोला, “मित्र, जल्दी से मेरा हाथ पकड़ लो. मैं तुम्हें बाहर खींच लूंगा.” मित्र ने वैसा ही किया. उसने बीरबल का हाथ पकड़ लिया और बीरबल उसे किनारे की ओर खींचने लगा. बीरबल पूरा ज़ोर लगाकर

बीरबल ने पलटी बाज़ी

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एक दिन की बात है. अकबर राज-दरबार की कार्यवाही समाप्त कर दरबारियों को पिछली रात देखा अपना सपना सुना रहे थे, “अंधेरी रात थी. मैं और बीरबल एक-दूसरे की ओर चले आ रहे हैं. अंधेरे में कुछ दिखाई नहीं पड़ने के कारण हम दोनों एक-दूसरे से टकराकर गिर पड़े. लेकिन ख़ुदा का शुक्र है कि मैं खीर के तालाब में गिरा और आप जानते हैं कि बीरबल कहाँ गिरा?” “नाली में” बीरबल से जलने वाले दरबारियों ने एक स्वर में कहा और ठहाके लगाने लगे. अकबर भी उनके साथ हो लिए. उस दिन अकबर भी बीरबल के मज़े लेना चाहते थे और अपनी बातों से उसे निरुत्तर कर देना चाहते है. “क्या हुआ?” अकबर ने कौतुहलवश “आप खीर के तालाब से बाहर निकले और मैं नाली से बाहर निकला. ख़ुद को साफ़ करने के लिए हमने पानी की तलाश की. लेकिन हमें कहीं भी पानी नहीं मिला. तब जानते हैं, हमने क्या किया?” “क्या किया?” अकबर का कौतूहल बढ़ता जा रहा था. “एक-दूसरे को साफ़ करने के लिए हम एक-दूसरे को चाटने लगे.” बीरबल ने मुस्कुराते बोला. यह सुनना था कि शर्म के मारे अकबर का चेहरा लाल हो गया. बीरबल ने बाज़ी पलट दी थी. उस दिन उन्होंने कसम खाई कि अब कभी भी बातों में बीरबल से नहीं 

अकबर बीरबल की कहानी- दरबारियों की परीक्षा

  बीरबल बादशाह अकबर का मुख्य सलाहकार था. दरबार में कई ऐसे दरबारी थे, जो यह पद पाने की लालसा रखते थे. इसलिए सदा बीरबल को नीचा दिखाने या अपनी अक्लमंदी साबित करने का प्रयास किया करते थे. एक दिन कुछ दरबारी अकबर के पास पहुँचे और कहने लगे, “जहाँपनाह! हममें से कई दरबारी बीरबल से कहीं ज्यादा काबिल हैं. लेकिन आपने उसे अपना मुख्य सलाहकार बना लिया है. हम चाहते हैं कि आप हमें भी अपना मुख्य सलाहकार बनने का मौका दें.” अकबर बोले, “ठीक है. मैं तुम लोगों की परीक्षा लूंगा. जो उस परीक्षा में सफ़ल होगा, उसे मैं बीरबल की जगह अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त कर लूंगा.” सभी दरबारी ख़ुशी-ख़ुशी राज़ी हो गए. सभी दरबारी ख़ुशी-ख़ुशी राज़ी हो गए. कपड़े की लंबाई मात्र कमर से लेकर पैर तक की थी. दरबारियों ने बहुत प्रयास किया, लेकिन अकबर को उस कपड़े से सिर से लेकर पैर तक ढकने में असफ़ल रहे. आख़िरकार, सबने हार मान ली. सबके हार मानने के बाद अकबर ने बीरबल पूछा, “बीरबल! क्या तुम यह करके दिखा सकते हो?” बीरबल सामने आया और अकबर के पास आकर खड़ा हो गया गया. फिर बोला, “जहाँपनाह! आपसे मेरा निवेदन है कि आप अपने घुटने थोड़ा ऊपर की ओर मोड़ लें.” अकबर

अकबर बीरबल- उम्र बढ़ाने वाला पेड़

  एक बार तुर्किस्तान के शहंशाह ने बादशाह अकबर (Akbar) की बुद्धि की परीक्षा लेने के मंसूबे से एक पैगाम भेजा. पैगाम कुछ इस तरह था – “अकबरशाह! सुना है भारत में एक ऐसा पेड़ है, जिसके पत्तों को खाने से उम्र बढ़ जाती है. हमारी गुज़ारिश है कि हमें उस पेड़ के कुछ पत्ते ज़रूर भिजवायें.” यह पैगाम लेकर तुर्किस्तान के शहंशाह का दूत और कुछ सिपाही अकबर के पास पहुँचे थे. पैगाम पढ़कर अकबर सोच में पड़ गए. फिर उन्होंने बीरबल को बुलाकर सलाह-मशवरा किया. अंत में बीरबल की सलाह मानकर अकबर ने तुर्किस्तान से आये दूत को सिपाहियों सहित एक सुदृढ़ किले में कैद करवा दिया. वहाँ उनके खाने-पीने का यथोचित्त प्रबंध किया गया. किले में बंद दूत और सिपाही चिंतित थे. उनकी समझ के बाहर था कि आखिर उनका दोष है क्या? कुछ दिन व्यतीत होने के उपरांत बीरबल (Birbal) को साथ लेकर अकबर उनसे मिलने पहुँचे. उन्हें देख दूत और सिपाहियों में उम्मीद जागी कि शायद अब उन्हें मुक्त कर दिया जायेगा. किंतु ऐसा कुछ नहीं हुआ. अकबर उनसे बोले, “तुम्हारे शहंशाह ने हमसे जिस चीज़ की गुज़ारिश की है. मैं वह तब ही दे पाऊंगा, जब इस किले की १-२ ईंटें गिर जायेंगी. तब तक तुम

बीरबल की खिचड़ी की कहानियाँ

  रात्रि भोज के उपरांत बादशाह अकबर बीरबल (Akbar Birbal) को साथ लेकर यमुना तट पर टहल रहे थे. उनके साथ सुरक्षा हेतु कुछ सैनिक भी थे. वो जनवरी का महिना था और दिल्ली में शीतलहर बह रही थी. कड़ाके की ठंड में यमुना नदी का जल बर्फ़ के समान ठंडा हो चुका था. अकबर (Akbar) को जाने क्या सूझी कि उन्होंने अपनी उंगली यमुना के जल में डाल दी. ठंडक का अहसास होते ही उन्होंने फ़ौरन अपनी उंगली जल से बाहर निकाली और बोले, “बीरबल! इस मौसम में यमुना का पानी बर्फ़ के समान हो जाता है. इसमें एक उंगली डालना मुश्किल है. यदि किसी को इस पानी में थोड़ी देर भी रहना पड़ जाये, तो वो जीवित नहीं बचेगा. क्यों क्या कहते हो?” बीरबल (Birbal) की सोच अकबर के विपरीत थी. वह बोला, “मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूँ हुज़ूर. इच्छाशक्ति हो तो मनुष्य कुछ भी कर गुजरता है. यमुना के पानी में कुछ देर खड़ा रहना तो बहुत ही छोटी बात है.” “हम तुमसे इत्तेफ़ाक नहीं रखते बीरबल. इन दिनों यमुना के पानी में कोई खड़ा हो ही नहीं सकता.” अकबर बीरबल की बात मानने को कतई तैयार नहीं थे. “तो आज़माकर देख लीजिये जहाँपनाह. कोई न कोई ज़रूर होगा, जो अपनी इच्छाशक्ति के दम पर ये कर

बीरबल का न्याय

  बादशाह अकबर के राज्य के एक गाँव में एक अंधा साधु रहा करता था. अपना भविष्य जानने लोगों का उसके पास तांता लगा रहता था. सबका मानना था कि वह एकदम सही भविष्यवाणी करता है. एक दिन गाँव में रहने वाले एक आदमी का रिश्तेदार अपनी भतीजी का इलाज़ कराने उसके घर आया. उस बच्ची के माता-पिता की उसकी आँखों के सामने ही हत्या कर दी गई थी. तबसे वह बीमार रहा करती थी. गाँव में रहते हुए एक दिन बच्ची की नज़र अंधे साधु पर पड़ी. उसे देखते ही वह चीख पड़ी, “इसने अम्मी-अब्बू को मारा है.” बच्ची के इस इल्ज़ाम पर अंधा साधु नाराज़ हो गया. उसने उसके रिश्तेदारों को कहा, “मुझ अंधे पर ये कैसा इल्ज़ाम लगा रही है? तुम्हें इसे समझाना चाहिए.” साधु से माफ़ी मांगकर बच्ची के रिश्तेदार घर चले आये. घर पर बच्ची पूरे दिन रोती रही और यही कहती रही कि वह साधु ही उसके माता-पिता का हत्यारा है. आखिरकार, सबको उसकी बात पर यकीन आ गया और उन्होंने तय किया कि वे उस संबंध में बीरबल से मदद मागेंगे. वे बीरबल के पास पहुँचे और उसे पूरी बात बता दी. पूरी बात जानकर बीरबल बोला, “आप लोग बादशाह अकबर के दरबार में जाकर इंतजार करो. मैं कुछ देर में आता हूँ.” उन्होंने

सोने का अंडा देने वाली मुर्गी की कहानी

  एक गाँव में एक किसान अपनी पत्नि के साथ रहता था. उनका एक छोटा सा खेत था, जहाँ वे दिन भर परिश्रम किया करते थे. किंतु कठोर परिश्रम के उपरांत भी कृषि से प्राप्त आमदनी उनके जीवन-यापन हेतु पर्याप्त नहीं थी और वे निर्धनता का जीवन व्यतीत करने हेतु विवश थे. एक दिन किसान बाज़ार से कुछ मुर्गियाँ ख़रीद लाया. उसकी योजना मुर्गियों के अंडे विक्रय कर अतिरिक्त धन उपार्जन था. अपनी पत्नि के साथ मिलकर उसने घर के आंगन में एक छोटा सा दड़बा निर्मित किया और मुर्गियों को उसमें रख दिया. भोर होने पर जब उन्होंने दड़बे में झांककर देखा, तो आश्चर्यचकित रह गए. वहाँ अन्य अंडों के साथ एक सोने का अंडा भी पड़ा हुआ था. किसान उस सोने के अंडे को अच्छी कीमत पर जौहरी के पास बेच आया. अगले दिन फिर उन्होंने दड़बे में सोने का अंडा पाया. किसान और उसकी पत्नि समझ गए कि उनके द्वारा पाली जा रही मुर्गियों में से एक मुर्गी अद्भुत है. वह सोने का अंडा देती है. एक रात पहरेदारी कर वे सोने का अंडा देने वाली मुर्गी को पहचान गए. उसके बाद से वे उसका ख़ास ख्याल रखने लगे. उस मुर्गी से उन्हें रोज़ सोने का अंडा मिलने लगा. उन अंडों को बेचकर किसान कुछ ही म

हाथी और चूहे की कहानी

  चूहा ये सब सोच ही रहा था कि शाही बिल्ली की नज़र उस पर पड़ गई और उसकी लार टपक गई. जुलुस छोड़ वह उसकी ओर लपकी। फिर क्या था? चूहा अपनी सारी महानता भूलकर दुम दबाकर भागा। भागते-भागते वह हाथी के सामने आ गया। आगे बढ़ते हाथी ने उस पिद्दी से चूहे को देखा तक नहीं और अपना विशाल पैर उठा लिया। चूहा उसके पैर के नीचे कुचलने ही वाला था, मगर किसी तरह उसने ख़ुद को बचाया।        वहाँ से बचा, तो खतरनाक कुत्ता सामने था, जो उसे देखकर गुर्राया। चूहा पूरी जान लगाकर वहाँ से भागा और राजमार्ग के किनारे स्थित एक छेद में घुस गया। उसका सारा घमंड उतर चुका था। उसे समझ आ चुका था कि वह इतना भी श्रेष्ठ और महान नहीं। सीख       किसी से मात्र रूप रंग की समानता हमें महान नहीं बनाती। महान हमारे गुण और कार्य बनाते हैं।