बादशाह अकबर के राज्य के एक गाँव में एक अंधा साधु रहा करता था. अपना भविष्य जानने लोगों का उसके पास तांता लगा रहता था. सबका मानना था कि वह एकदम सही भविष्यवाणी करता है. एक दिन गाँव में रहने वाले एक आदमी का रिश्तेदार अपनी भतीजी का इलाज़ कराने उसके घर आया. उस बच्ची के माता-पिता की उसकी आँखों के सामने ही हत्या कर दी गई थी. तबसे वह बीमार रहा करती थी. गाँव में रहते हुए एक दिन बच्ची की नज़र अंधे साधु पर पड़ी. उसे देखते ही वह चीख पड़ी, “इसने अम्मी-अब्बू को मारा है.” बच्ची के इस इल्ज़ाम पर अंधा साधु नाराज़ हो गया. उसने उसके रिश्तेदारों को कहा, “मुझ अंधे पर ये कैसा इल्ज़ाम लगा रही है? तुम्हें इसे समझाना चाहिए.” साधु से माफ़ी मांगकर बच्ची के रिश्तेदार घर चले आये. घर पर बच्ची पूरे दिन रोती रही और यही कहती रही कि वह साधु ही उसके माता-पिता का हत्यारा है. आखिरकार, सबको उसकी बात पर यकीन आ गया और उन्होंने तय किया कि वे उस संबंध में बीरबल से मदद मागेंगे. वे बीरबल के पास पहुँचे और उसे पूरी बात बता दी. पूरी बात जानकर बीरबल बोला, “आप लोग बादशाह अकबर के दरबार में जाकर इंतजार करो. मैं कुछ देर में आता हूँ.” उन्होंने
एक दिन की बात है. अकबर राज-दरबार की कार्यवाही समाप्त कर दरबारियों को पिछली रात देखा अपना सपना सुना रहे थे, “अंधेरी रात थी. मैं और बीरबल एक-दूसरे की ओर चले आ रहे हैं. अंधेरे में कुछ दिखाई नहीं पड़ने के कारण हम दोनों एक-दूसरे से टकराकर गिर पड़े. लेकिन ख़ुदा का शुक्र है कि मैं खीर के तालाब में गिरा और आप जानते हैं कि बीरबल कहाँ गिरा?” “नाली में” बीरबल से जलने वाले दरबारियों ने एक स्वर में कहा और ठहाके लगाने लगे. अकबर भी उनके साथ हो लिए. उस दिन अकबर भी बीरबल के मज़े लेना चाहते थे और अपनी बातों से उसे निरुत्तर कर देना चाहते है. “क्या हुआ?” अकबर ने कौतुहलवश “आप खीर के तालाब से बाहर निकले और मैं नाली से बाहर निकला. ख़ुद को साफ़ करने के लिए हमने पानी की तलाश की. लेकिन हमें कहीं भी पानी नहीं मिला. तब जानते हैं, हमने क्या किया?” “क्या किया?” अकबर का कौतूहल बढ़ता जा रहा था. “एक-दूसरे को साफ़ करने के लिए हम एक-दूसरे को चाटने लगे.” बीरबल ने मुस्कुराते बोला. यह सुनना था कि शर्म के मारे अकबर का चेहरा लाल हो गया. बीरबल ने बाज़ी पलट दी थी. उस दिन उन्होंने कसम खाई कि अब कभी भी बातों में बीरबल से नहीं
रात्रि भोज के उपरांत बादशाह अकबर बीरबल (Akbar Birbal) को साथ लेकर यमुना तट पर टहल रहे थे. उनके साथ सुरक्षा हेतु कुछ सैनिक भी थे. वो जनवरी का महिना था और दिल्ली में शीतलहर बह रही थी. कड़ाके की ठंड में यमुना नदी का जल बर्फ़ के समान ठंडा हो चुका था. अकबर (Akbar) को जाने क्या सूझी कि उन्होंने अपनी उंगली यमुना के जल में डाल दी. ठंडक का अहसास होते ही उन्होंने फ़ौरन अपनी उंगली जल से बाहर निकाली और बोले, “बीरबल! इस मौसम में यमुना का पानी बर्फ़ के समान हो जाता है. इसमें एक उंगली डालना मुश्किल है. यदि किसी को इस पानी में थोड़ी देर भी रहना पड़ जाये, तो वो जीवित नहीं बचेगा. क्यों क्या कहते हो?” बीरबल (Birbal) की सोच अकबर के विपरीत थी. वह बोला, “मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूँ हुज़ूर. इच्छाशक्ति हो तो मनुष्य कुछ भी कर गुजरता है. यमुना के पानी में कुछ देर खड़ा रहना तो बहुत ही छोटी बात है.” “हम तुमसे इत्तेफ़ाक नहीं रखते बीरबल. इन दिनों यमुना के पानी में कोई खड़ा हो ही नहीं सकता.” अकबर बीरबल की बात मानने को कतई तैयार नहीं थे. “तो आज़माकर देख लीजिये जहाँपनाह. कोई न कोई ज़रूर होगा, जो अपनी इच्छाशक्ति के दम पर ये कर
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